सहारा मुझको चाहिये सहारा दे मुझे खुदा
मुझे संभाल मैं गिरा
1) यह बोझ जो गुनाहों का
मैं लेके आज चल रहा
उठायेगा अगर कोई
वह तू ही तो है ऐ खुदा
मुझे संभाल मैं गिरा.
सहारा मुझको चाहिये...
2) कठिन हैं रासते बहुत
हर एक मोड़ पर खता
अँधेरा सायों को हटा
दिखादे मुझको अब सहर
मुझे संभाल मैं गिरा.
सहारा मुझको चाहिये...
3) जहाँ के रासतो पे मैं
अकेले चल न पाऊँगा
अगर जो चलना चाहूँ भी
फिसल के गिर मैं जाऊँगा
मुझे संभाल मैं गिरा
सहारा मुझको चाहिये...
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